Friday, May 21, 2021

फर्रुखाबाद : महाभारत कालीन पांचाल महाजनपद के प्रमुख नगर संकिसा में महात्मा बुद्ध ने दिया था धर्मोपदेश

 महाभारत काल में पांचाल महाजनपद का प्रमुख नगर संकिसा महात्मा बुद्ध के समय में भी ख्याति प्राप्त रहा है। अपने समय में सम्राट अशोक ने यहाँ हस्ति स्तम्भ का भी निर्माण कराया था। जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर स्वामी विमलनाथजी का यह ज्ञान स्थान माना जाता है। कनिंघम ने अपनी कृति में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है।



महाभारत और महाजनपद काल में यह पांचाल का प्रसद्ध नगर संकिसा का रामायण में जिक्र महाराज जनक के छोटे भाई कुशध्वज के राज्य के रूप में आता है। बौद्ध इतिहास में संकिसा की चर्चा अलग-अलग तरीके से होती है। बुद्ध के जीवन-प्रसंगों से जुड़े आठ प्रमुख स्थलों में भी इसकी गणना होती है। बुद्धत्व प्राप्ति के सात वर्ष बाद ही यहाँ पर बुद्ध ने अभिधम्म की देशना दी थी। भगवान् बुद्ध यहाँ श्रावण पूर्णिमा के दिन आये थे इसलिए श्रावण पूर्णिमा के दिन यहाँ उत्सव मनाया जाता है और भव्य मेले का आयोजन होता है।

वर्तमान संकिसा जनपद फर्रूखाबाद का एक पौराणिक एवं ऐतिहासिक गांव है। इसके समीप काली नदी बहती है जिसका प्राचीन नाम इक्षुमति था। महात्मा बुद्ध के समय से इसका महत्व बढ़ा है। इस स्थान का बौद्ध के जीवन से विशेष सम्बंध है। मान्यता है कि बुद्ध भगवान स्वर्ग का आगमन तथा वर्षावास हुआ। बौद्ध साहित्य में इसकी चर्चा बहुत मिलती है तथा महाभारत में भी इसका उल्लेख किया गया है। भारतीय एवं यूनानी कलाकारों नें संकिसा में बौद्ध के अवतरण का चित्रण उनके जीवन की अन्य प्रमुख घटनाओं के साथ बहुसंख्यक कलाक्रतियों में किया है। यहाँ पर एक विशाल प्राचीन टीला है जो पुरातत्व विभाग में संरक्षित। यहाँ आने वाले बौद्ध लोग इसकी परिक्रमा करते हैं। बर्मा, चीन, श्रीलंका आदि से यहाँ दर्शनार्थी आते रहते हैं। बौद्ध और अन्य श्रद्धालु लोग संकिसा आकर अपने को भाग्यशाली मानतें हैं। यहाँ पर अनेक दार्शनिक स्थाल श्रीलंका, म्यामांर, जापानी, भूटान, शाक्यमुनि, कोरिया, कम्बोडिया आदि बुद्धविहार है तथा पर्यटकों के ठहरने के लिये विश्रामग्रह भी हैं। इस टीले के ऊपर बिसारी देवी मंदिर भी है जनधारणा है कि आँख में तकलीफ होने पर संकिसा आकर देवी की पूजा-अर्चना करने पर आँखों की तकलीफ से मुक्ति मिल जाती है। टीले के पास ही सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया अशोक स्तम्भ (हस्ति स्तम्भ) है। टीले के कुछ दूरी पर टेढ़ा महादेव मंदिर और कन्थाई ताल है जो पुरातत्व विभाग में भी संरक्षित है। कनिंघम ने अपनी कृति “The Ancient Geography of India” में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है।

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