Friday, May 21, 2021

गंगा के आँचल में बसा फर्रुखाबाद धर्म ज्ञान और आध्यात्म का रहा है केन्द्र

 मैं फर्रुखाबाद हूँ ! मेरे आसपास का क्षेत्र धार्मिक व पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। मैं महाभारत, बौद्ध, जैन, सूफी, मुग़ल, स्वतंतत्रा संग्राम आदि दौरों से गुज़रा हूँ। कला, साहित्य, संगीत, राजनीति, खान-पान आदि में भी किसी से कम नही हूँ।



उत्तर प्रदेश के प्रमुख जनपदों में अपनी पहचान रखने वाले फर्रूखाबाद की स्थापना 27 दिसम्बर 1714 ई० को नवाब मोहम्मद खाँ बंगश द्वारा दिल्ली के शासक फर्रुखसियर के नाम पर हुई लेकिन इसका इतिहास कई हज़ार वर्ष प्राचीन है। काशी की तरह यहाँ पर भी गंगा नदी अर्धचन्द्राकार रूप में बहती है जिसकी वजह से इसको अपराकाशी भी कहा जाता है। गंगा नदी के आंचल में बसा यह जनपद धर्म, ज्ञान, आध्यात्म, साहित्य, कला एवं संस्कृति से सम्बद्ध रहा है।

तीन तहसीलों वाले फर्रुखाबाद में पहले कन्नौज भी सम्मानित था लेकिन 18 सितम्बर 1997 को इसे विभाजित कर दिया गया। जनपद की कुल जनसंख्या 18,87,577 (2011 के अनुसार) है तथा कुल साक्षरता 72% है। जिले की अधिकतर प्रशासनिक इकाइयाँ फतेहगढ़ में हैं। यहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्य साधन कृषि है। जिले के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लोग खेती व पशुपालन पर निर्भर हैं। यहाँ की प्रमुख फसलें आलू, मटर, चना, जौ, गेहूँ, बाजरा, सूरजमुखी, तम्बाकू, आम, अमरूद, आदि की उपज होती है। राष्ट्रीय उत्पादन का 10 प्रतिशत आलू उत्पादन करने वाले इस जनपद में लगभग एक सैकड़ा कोल्ड स्टोरेज हैं। इसके अलावा यहाँ पर लघु एवं कुटीर उद्योगों का भी योगदान है। यहाँ का छपाई उद्योग व ज़रदोज़ी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति का रहा है। वही तांबा व पीतल के बर्तन के उद्योग की भी एक अलग पहचान है। कायमगंज में तम्बाकू का उद्योग तथा कमालगंज में बीढ़ी उद्योग जिले की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं। फर्रूखाबाद प्राचीन समय से ही बहुत प्रसिद्ध रहा है इसीलिए यहाँ का इतिहास भी रोचक है। पर्यटन की दृष्टि से अगर बात की जाये तो कम्पिल एवं संकिसा यहाँ के मुख्य पर्यटन केंद्र हैं जो उ.प्र. पर्यटन विभाग की सूची में सम्मिलित हैं।

©aqibfarrukhabadi

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